रायगढ़/घरघोड़ा/तमनार 23 दिसंबर 2024 ग्राम तुमिडीह में दिनांक 23 दिसंबर 2024 को प्रिज्मो स्टील प्राइवेट लिमिटेड की पर्यावरणीय जनसुनवाई भारी विरोध के बीच सम्पन्न हुई। हालांकि, जनसुनवाई के दौरान कई गंभीर खामियों और नियमों के उल्लंघन की बात सामने आई है।
प्रभावित गांवों की जानकारी का अभाव
पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA) अधिसूचना, 2006 के खंड 7(III)(क) के अनुसार, जनसुनवाई के लिए परियोजना से प्रभावित सभी गांवों की स्पष्ट जानकारी और डेटा प्रस्तुत करना अनिवार्य है। लेकिन, प्रिज्मो स्टील द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में प्रभावित गांवों का कोई उल्लेख नहीं किया गया। यह न केवल कानूनी नियमों का उल्लंघन है, बल्कि प्रभावित समुदायों के अधिकारों का भी हनन है।
ग्रामीणों का आरोप है कि उन्हें परियोजना के पर्यावरणीय प्रभावों की सटीक जानकारी नहीं दी गई। ईआईए रिपोर्ट में इस बात का कोई संकेत नहीं है कि कितने गांव या ग्राम पंचायतें परियोजना से प्रभावित होंगी।
सूचना के अधिकार का उल्लंघन
खंड 7(III)(सी) के अनुसार, जनसुनवाई की सूचना सार्वजनिक स्थलों, ग्राम पंचायतों और प्रमुख स्थानों पर चस्पा करना और मुनादी कराना अनिवार्य है। लेकिन, इस प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। प्रभावित गांवों में कई लोगों को इस सुनवाई की जानकारी तक नहीं थी, जिससे वे अपनी भागीदारी दर्ज कराने से वंचित रह गए।
हाथी विचरण क्षेत्र और पर्यावरणीय उल्लंघन
परियोजना स्थल से महज 2-3 किलोमीटर के अंदर हाथी प्रभावित क्षेत्र स्थित है। हाथियों के कारण प्रभावित परिवारों और फसलों की क्षति पहले से दर्ज की गई है। बावजूद इसके, इन महत्वपूर्ण तथ्यों को ईआईए रिपोर्ट में शामिल नहीं किया गया।
पर्यावरण प्रदूषण और जल संकट
रिपोर्ट के अनुसार, परियोजना क्षेत्र में पहले से जलवायु प्रदूषण और भूजल की भारी कमी है। पानी का अंधाधुंध उपयोग और प्रदूषण स्थानीय निवासियों के लिए बड़ी समस्या है। इसके बावजूद, इन समस्याओं का समाधान रिपोर्ट में स्पष्ट नहीं किया गया।
पर्यावरण संरक्षण का दिखावा?
ईआईए रिपोर्ट में परियोजना स्थल पर केवल 110 पेड़ों की गिनती बताई गई है, जिनमें से 60 को संरक्षित और 50 को स्थानांतरित करने की बात कही गई। लेकिन, स्थानीय पर्यावरण कार्यकर्ताओं के अनुसार, यह क्षेत्र झाड़ियों और सैकड़ों सरई, महुआ जैसे पेड़ों से घिरा जंगल है। पेड़ों की गिनती में की गई लापरवाही कंपनी की पर्यावरणीय जिम्मेदारी पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
मजदूर संघ का बयान
हिंद मजदूर किसान पंचायत के जिला महासचिव उमेश कुमार श्रीवास ने कहा,
“प्रिज्मो स्टील प्राइवेट लिमिटेड की परियोजना की ईआईए रिपोर्ट में कई गंभीर खामियां हैं, जिनका प्रभाव न केवल पर्यावरण बल्कि प्रभावित समुदायों के जीवन पर भी पड़ेगा। जनसुनवाई प्रक्रिया को तत्काल निरस्त कर, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से पुनः आयोजित किया जाना चाहिए। पर्यावरणीय और सामाजिक न्याय की रक्षा के लिए यह बेहद जरूरी है।” रायगढ़ के लोग अब एकजुट होकर पर्यावरण और अपनी पीढ़ियों के भविष्य के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यह लड़ाई केवल स्थानीय लोगों की नहीं, बल्कि पूरे समाज की जिम्मेदारी है। यदि अभी ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाली पीढ़ियों को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।
प्रदूषण से घिरी पीढ़ियां: अब और उद्योग नहीं चाहिए!
रायगढ़ क्षेत्र पहले से ही भारी उद्योगों और उनके कारण हो रहे प्रदूषण का शिकार है। सैकड़ों उद्योगों के संचालन से वायु, जल, और भूमि प्रदूषण अपने चरम पर है। स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी प्रदूषण के साये में बिता दी, लेकिन अब वे अपनी आने वाली पीढ़ियों को इस त्रासदी का शिकार नहीं बनने देना चाहते।
स्थानीय लोगों की अपील
- ग्राम तुमिडीह में हाल ही में प्रिज्मो स्टील प्राइवेट लिमिटेड की जनसुनवाई के दौरान लोगों ने यह मांग की कि क्षेत्र में अब और कोई उद्योग स्थापित न हो।
- हिंद मजदूर किसान पंचायत के जिला महासचिव उमेश कुमार श्रीवास ने कहा,
“हमने अपनी जिंदगी प्रदूषण के साथ गुजार दी, लेकिन अब हमारे बच्चे इस प्रदूषण की मार नहीं झेल सकते। जितने उद्योग अभी संचालित हैं, वे पर्याप्त हैं। हमें अब यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में और किसी उद्योग को यहां जगह न मिले।”
आने वाली पीढ़ी के लिए एकजुटता की जरूरत
ग्रामीणों का कहना है कि पर्यावरणीय प्रदूषण ने न केवल उनकी सेहत पर असर डाला है, बल्कि खेती, जलस्रोतों, और वन्यजीवन को भी बुरी तरह प्रभावित किया है। अब समय आ गया है कि सभी लोग एकजुट होकर अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए ठोस कदम उठाएं।
“यह लड़ाई केवल हमारे लिए नहीं, बल्कि हमारे बच्चों और उनकी आने वाली पीढ़ियों के लिए है। हमें उनके लिए एक बेहतर, स्वस्थ, और प्रदूषणमुक्त वातावरण सुनिश्चित करना होगा।”
ठोस कदमों की मांग
- स्थानीय निवासियों ने मांग की है कि नए उद्योगों को स्थापित करने की अनुमति पूरी तरह से बंद हो।
- मौजूदा उद्योगों के प्रदूषण स्तर पर सख्त निगरानी रखी जाए।
- पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के लिए बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण और जल संरक्षण योजनाओं को लागू किया जाए।
निष्कर्ष
यह मामला पर्यावरण संरक्षण, पारदर्शिता और सामाजिक न्याय के लिए एक गंभीर चुनौती पेश करता है। प्रभावित समुदायों और पर्यावरण को प्राथमिकता देते हुए, परियोजना के प्रभावों का पुनर्मूल्यांकन और पारदर्शी समाधान की आवश्यकता है।
(रिपोर्ट: केलोभूमि न्यूज़)