रायगढ़। घरघोड़ा में 26 नवंबर को राष्ट्रीय संविधान दिवस के अवसर पर माननीय प्रधान जिला न्यायाधीश एवं अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, रायगढ़, जितेंद्र कुमार जैन और माननीय अध्यक्ष, तालुका विधिक सेवा समिति, घरघोड़ा, अभिषेक शर्मा के नेतृत्व में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर माननीय न्यायमूर्ति काम्या अय्यर ने न्यायालय परिसर घरघोड़ा में आए आगंतुकों को संविधान में प्रदत्त निशुल्क विधिक सेवाओं की जानकारी दी। उन्होंने राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) की योजनाओं के बारे में विस्तार से बताया और टोल-फ्री नंबर 15100 के माध्यम से विधिक सहायता प्राप्त करने की प्रक्रिया समझाई। माननीय न्यायमूर्ति अय्यर ने नालसा का मुख्य उद्देश्य—समाज के कमजोर वर्गों को मुफ्त कानूनी सेवाएं प्रदान करना और विवादों का सौहार्दपूर्ण समाधान करना—उजागर किया।
इसके अतिरिक्त, उन्होंने बताया कि विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987, भारतीय संसद द्वारा पारित किया गया था, ताकि संविधान के अनुच्छेद 39ए को प्रभावी रूप से लागू किया जा सके। यह अधिनियम भारत के सभी नागरिकों को निशुल्क और सक्षम कानूनी सेवाएं प्रदान करने की गारंटी देता है।
इसी क्रम में, माननीय न्यायमूर्ति चंद्रकला साहू के मुख्य आतिथ्य में प्री एवं पोस्ट मैट्रिक आदिवासी बालिका छात्रावास घरघोड़ा में विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में माननीय न्यायमूर्ति साहू ने संविधान दिवस के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि 26 नवंबर 2015 से हर वर्ष भारत में संविधान दिवस मनाया जाता है।
अपने संबोधन में उन्होंने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (आईटी एक्ट) और अन्य जनोपयोगी कानूनी विषयों की जानकारी प्रदान की। साथ ही, संविधान में उल्लेखित मौलिक अधिकारों, मूल कर्तव्यों और नीति निर्देशक तत्वों पर विस्तार से चर्चा की।
इस कार्यक्रम में छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और संविधान के संबंध में अपने प्रश्न एवं जिज्ञासाएं साझा कीं। छात्रावास अधीक्षिका श्रीमती कौशल्या भगत, छात्रावास स्टाफ, पुलिस विभाग के आरक्षक, न्यायालयीन स्टाफ, और पीएलवी भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे।
राष्ट्रीय संविधान दिवस के इस अवसर पर आयोजित शिविरों ने आम नागरिकों और छात्राओं को संविधान और कानूनी अधिकारों के प्रति जागरूक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।