
रायगढ़। पंचायत त्रिस्तरीय चुनाव 2025 के अंतिम चरण में लैलूंगा, घरघोड़ा और तमनार विकासखंड में कड़ा चुनावी संघर्ष देखने को मिला। इसी कड़ी में ग्राम पंचायत आमाघाट की जनता ने विकास और शराबबंदी के संकल्प को प्राथमिकता देते हुए श्रीमती करीना राठिया को अपना नया सरपंच चुना।
ग्राम पंचायत आमाघाट में लंबे समय से शराबबंदी को लेकर जागरूकता अभियान चलाए गए हैं। यहां के पूर्व सरपंच प्रेमसागर राठिया ने अपने कार्यकाल के दौरान गांव में शराब के दुष्प्रभावों को लेकर लगातार जनजागरूकता फैलाई थी। उन्होंने महिलाओं, युवाओं और बुजुर्गों के सहयोग से शराबमुक्त समाज की दिशा में कदम बढ़ाया था। अब उन्हीं के विचारों को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी उनकी पुत्रवधु करीना राठिया को सौंपी गई है।
गांव की महिलाओं ने निभाई अहम भूमिका
इस चुनाव में गांव की महिलाओं की भूमिका अहम रही। आमाघाट में महिलाओं ने शराब के खिलाफ आवाज उठाई थी और उनके विरोध के चलते कई बार अवैध शराब की बिक्री पर कार्रवाई भी हुई थी। इस चुनाव में भी महिलाओं ने बड़ी संख्या में मतदान कर करीना राठिया के समर्थन में अपनी एकजुटता दिखाई। ग्रामीण महिलाओं का कहना है कि वे एक ऐसा नेतृत्व चाहती थीं, जो उनके हितों को समझे और गांव को नशामुक्त बनाकर विकास की दिशा में आगे बढ़ाए।
“गांव के विकास और शराब से विनाश नहीं”
करीना राठिया की जीत को सामाजिक सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने “गांव के विकास और शराब से विनाश नहीं” का नारा दिया था, जिसे ग्रामीणों ने खुले दिल से स्वीकार किया। उनका मुख्य उद्देश्य गांव में शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, पानी, रोजगार और महिला सशक्तिकरण पर जोर देना है। करीना राठिया ने कहा कि वे गांव के हर वर्ग के लोगों से संवाद कर उनकी समस्याओं को समझेंगी और उनके समाधान के लिए कार्य करेंगी।
गांव के युवाओं ने भी किया समर्थन
आमाघाट के युवाओं ने भी इस बार बदलाव के पक्ष में मतदान किया। उनका मानना है कि गांव का भविष्य शिक्षा और रोजगार से जुड़ेगा, न कि नशे की लत से। वे चाहते हैं कि गांव में खेल, शिक्षा और स्वरोजगार के अवसर बढ़ें, ताकि युवा सही दिशा में आगे बढ़ सकें।
जनता की उम्मीदें और भविष्य की योजनाएं
करीना राठिया ने जीत के बाद ग्रामीणों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि वे पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ अपनी जिम्मेदारियों को निभाएंगी। उन्होंने कहा कि गांव में शराबबंदी को और प्रभावी बनाने के लिए ग्राम सभाओं का आयोजन किया जाएगा, जहां सभी ग्रामीणों की राय ली जाएगी और सामूहिक निर्णय के आधार पर कड़े कदम उठाए जाएंगे। इसके अलावा, स्वास्थ्य, शिक्षा और ग्रामीण विकास की योजनाओं को प्राथमिकता दी जाएगी।
आमाघाट का चुनावी परिणाम एक संदेश
आमाघाट के इस चुनाव परिणाम को एक सामाजिक बदलाव का संकेत माना जा रहा है। यह जीत सिर्फ करीना राठिया की नहीं, बल्कि उन सभी ग्रामीणों की है, जो गांव को शराब मुक्त और विकसित बनाना चाहते हैं। यह चुनाव यह भी दर्शाता है कि अब ग्रामीण मतदाता केवल वादों पर भरोसा नहीं कर रहे, बल्कि वे सामाजिक सुधार और विकास को प्राथमिकता देकर अपने नेतृत्व का चयन कर रहे हैं।
करीना राठिया के नेतृत्व में आमाघाट का भविष्य कैसा होगा, यह आने वाले समय में स्पष्ट होगा, लेकिन इस चुनाव ने एक नई दिशा जरूर तय कर दी है।